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कैलाश विजयवर्गीय का सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: महू गांव में मां गंभीर की आरती और एसटीपी का निर्माण

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नदियों ने अनंतकाल से हमारी समृद्ध और दिव्य सनातन संस्कृति तथा समाज को निरंतर पल्लवित , पुष्पित और पोषित किया है। आज इंदौर के समीप स्थित महू गांव में संत जनों की पावन उपस्थिति में मां गंभीर की आरती एवं पूजन-अर्चन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का सराहनीय प्रयास था। कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को सामने रखा , बल्कि जल संरक्षण और पर्यावरण संवर्धन की दिशा में भी महत्वपूर्ण संदेश दिया। इस अवसर पर नदी को सदानीरा बनाए रखने के उद्देश्य से 6 करोड़ 71 लाख रुपए की लागत से एसटीपी (स्मार्ट ट्रीटमेंट प्लांट) के निर्माण का निर्णय लिया गया। यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का भी एक प्रयास है। कार्यक्रम में परम पूज्य महामंडलेश्वर श्री रामकृपाल दास त्यागी जी , परम पूज्य श्री विपुल कृष्ण महाराज जी , परम पूज्य श्री विश्वजीत शर्मा जी , आयोजक श्री जयेश यादव जी , भाजपा जिला अध्यक्ष श्री चिंटू वर्मा जी , युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष श्री मनोज ठाकुर

नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक को श्रद्धांजलि | कैलाश विजयवर्गीय

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आज नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक , भारतीय संस्कृति के महान उपासक एवं प्रखर राष्ट्रवादी परम पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के स्मृति मंदिर में   कैलाश विजयवर्गीय   ने   उन्हें नमन कर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य श्री माधव सदाशिव गोलवलकर गुरुजी के स्मृति चिह्न पर भी पुष्पांजलि अर्पित की गई। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी का जीवन और उनके कार्य भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक हैं। उन्होंने अपने जीवन को राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर दिया और आरएसएस की स्थापना की , जो आज एक विशाल संगठन बन चुका है। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए , संघ के सदस्य राष्ट्र उत्थान के लिए संकल्पित हैं। इस अवसर पर संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य श्री माधव सदाशिव गोलवलकर गुरुजी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गुरुजी का जीवन और उनके विचार संघ के सदस्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने संघ के सिद्धांतों और मूल्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संघ के सदस्यों ने इस अवसर पर अपने संकल्

दिवाली भी बुराइयों को मिटाने का दूसरा नाम है | कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya )

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जब हम प्रकाश पर्व दिवाली पर उत्साह, खुशी और उत्साह के उजियारे में नहाते हैं, तो हम पूरे उत्साह से भर जाते हैं।इस उत्सव पर हमारा देश ही नहीं, पूरी दुनिया भी उज्ज्वल है। अमेरिका, सिंगापुर और फिर संयुक्त राष्ट्र में दिवाली मनाई गई। विश्व की इस सबसे बड़ी संस्था ने पहली बार  कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya)   ने  अपने मुख्यालय पर दीये और थ्रीडी लाइटिंग के साथ हैप्पी दिवाली का संदेश दिखाकर इस उत्सव को मनाया। विश्व की सबसे बड़ी संस्था द्वारा व्यक्त यह भाव निश्चित रूप से हमारे देश के प्रति विश्व के बदलते दृष्टिकोण और उसकी हमारे प्रति बढ़ती दिलचस्पी का संकेत है। दूसरी तरफ, दिवाली पर हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने जो व्यवहारिक भाव व्यक्त किए हैं, उन पर भी विचार करने और उन पर अमल करने से देश में वांछित बदलाव हो सकता है। प्रेम और त्याग: दिवाली का मूल भाव दिवाली भी बुराई का दूसरा नाम है। दिवाली पर हम एकजुट होते हैं। इससे दिल खुलता है, सरलता आती है, प्रेम बढ़ाता है और प्रेम में ही ईश्वर है। प्रेम में त्याग अनिवार्य है, और बुराई नहीं होगी जहां ये दोनों हैं। अब जरा अधिक गहराई में जाकर कुछ और ख

कैलाश विजयवर्गीय का राजनीतिक सफर | कैलाश विजयवर्गीय न्यूज़ | Kailash Vijayvargiya

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श्री कैलाश विजयवर्गीय ( Kailash Vijayvargiya) की पहचान भारतीय राजनीति के अजेय योद्धा, जनमत के दिलों को टटोलने की कला के माहिर खिलाड़ी और देश-प्रदेश के सबसे लोकप्रिय खांटी भारतीय जनसेवक के रूप में होती है। इंदौर के पिछड़े इलाके श्रमिक क्षेत्र में उनका बचपन बीता और होश संभालने के साथ वो जनसेवा से जुड़ गए। राजनीति में कदम रखते ही उनको इस बात का अहसास हो गया कि इच्छाशक्ति के बलबूते ही सपनों को साकार और जीवंत किया जा सकता है और अपने इसी दृड़ संकल्प की बदौलत उन्होंने जनसेवा के कई मुकामों को हासिल किया। इनकी शख्सियत का सबसे मजबूत पहलू  जनता से आत्मीय लगाव है और इसके साथ ही  कैलाशजी में अपने समर्थकों को संगठित करने और उनको प्रेरित करने की अदभुत नैसर्गिक क्षमता भी है। आध्यात्मिकता और सामाजिक मूल्यों की बुनियाद पर उन्होंने सियासत में गौरवशाली गाथा की इमारत बुलंद की। अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और समर्पण से उन्होंने राजनीति में कई कीर्तिमान रचे। कैलाशजी ने 1975 में अपना पहला सियासी कदम बढ़ाते हुए कहा था,  "मैं अब भी मानता हूं कि यात्रा अभी शुरू हुई है और अभी कई मील के पत्थर हासिल करने बाकी हैं&quo

कैलाश विजयवर्गीय: पश्चिम बंगाल में भाजपा की नई रणनीति

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परिचय हरियाणा में सफलता के बाद , भाजपा हाईकमान ने कैलाश विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी सौंपी। 2015 में उन्हें बंगाल का प्रभारी बनाया गया। नए चेहरे , नए विचार और बदलाव की सोच के साथ , कैलाशजी ने कोलकाता में एक नई शुरुआत की। राजनीतिक परिदृश्य पश्चिम बंगाल की राजनीति अक्सर मुस्लिम ध्रुवीकरण , सांप्रदायिकता , बांग्लादेशी घुसपैठ और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती है। कैलाशजी ने राष्ट्रवाद के नारे के साथ पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उतरकर कहा , “ हम राजनीति नहीं , बल्कि राष्ट्रनीति करते हैं।” उनकी बढ़ती लोकप्रियता से सत्तारूढ़ टीएमसी का शीर्ष नेतृत्व चिंतित हो गया। हमला और सुरक्षा टीएमसी कार्यकर्ताओं ने कैलाशजी के हौंसलों को पस्त करने के लिए उन पर जानलेवा हमला किया। दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर में उनकी गाड़ी पर हमला हुआ। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और पश्चिम बंगाल सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। कैलाशजी की सुरक्षा को सख्त करते हुए उन्हें Z कैटगरी की सुरक्षा दी गई और उनके काफिले में बुलेटप्रूफ गाड़ी शामिल की गई। निष्कर्ष

हरियाणा में फहराया भगवा परचम | कैलाश विजयवर्गीय

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अपने काम के प्रति समर्पण और निष्ठा कैलाशजी में काफी गहरी है इसके लिए वो कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार रहते हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का अहसास हुआ कि कैलाशजी देश की राजनीति का चेहरा ही नहीं चाल-ढाल भी बदल सकते हैं तब उन्हे 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनाव की कमान सौंपते हुए उनको हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाया और कैलाशजी ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए हरियाणा के रण में कूच कर दिया। यह पहला मौका था, जब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश के एक मंत्री को किसी दूसरे प्रदेश में पूरे चुनाव की कमान सौंपी थी। यहां चुनौती गुटों में बंटी भाजपा को एक जाजम पर लाकर पहली बार पूर्ण बहुतम वाली भाजपा की सरकार बनाना था। परिवारवाद और दलबदल के दलदल से हरियाणा की जनता को बाहर निकालना था। संगठनात्मक रूप से हाशिए पर पड़ी भाजपा के संगठन को खड़ा करने की भी जिम्मेदारी थी। जाट बहुल प्रदेश में भाजपा के पास कोई कद्दावर जाट राजनेता नहीं था औऱ हरियाणा की राजनीति तीन लालों देवीलाल, बंशीलाल और भजन लाल और उनके बाद उनके परिवार के इशारों पर चलती थी।    कैलाशजी ने जातिवाद और परिवारवाद के चक्रव्यहू को तोड़

महाराष्ट्र दौरे पर मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी, नागपुर के छह विधानसभा क्षेत्रों में किया महा जनसंपर्क

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- मंत्री श्री विजयवर्गीय जी बोले- महाराष्ट्र चुनाव में जीत का प्रतिमान स्थापित करेगी भाजपा - नागपुर में स्वयं ऑटो रिक्शा की सवारी कर किया जनसंपर्क , जन-जन का मिला समर्थन भोपाल/नागपुर.  मध्यप्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने रविवार , 6 अक्टूबर को नागपुर में भारतीय जनता पार्टी के अनेक कार्यक्रमों में सहभागिता की। इस अवसर पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए महा जनसंपर्क अभियान में हिस्सा लिया। स्वयं ऑटो रिक्शा की सवारी कर अनेक बूथ पर पहुंचते हुए जनता जनार्दन से भेंट की। नागरिकों ने श्री विजयवर्गीय जी का आत्मीय स्वागत करते हुए भाजपा को अपना पूर्ण समर्थन तथा सहयोग देने का विश्वास दिलाया। बता दें , भारतीय जनता पार्टी ने दिग्गज राजनेता श्री विजयवर्गीय जी को महाराष्ट्र में आगामी समय में होने वाले विधानसभा चुनाव में 12 सीटों का जिम्मा दिया है। इसी तारतम्य में श्री विजयवर्गीय जी लगातार नागपुर क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। रविवार को अपने दौरे में उन्होंने नागपुर के छह विधानसभा क्षेत्रों के बूथ पर महा जनसंपर्क किया। इन विधानसभा क्षेत्रों

रावण मुक्ति: परिवर्तन और विजय की कथा | कैलाश विजयवर्गीय

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श्रीरामजी की रावण पर विजय के दिवस दशहरे के पावन अवसर पर कैलाश विजयवर्गीय  द्वारा सभी विश्वबंधुओं को शुभकामनाएं।                       रावण युद्ध भूमि में उतरता है , राम से घोर संघर्ष करता है। बहुत मेहनत के बाद भी रावण का वध नहीं हो पाया तो राम ने विभीषण की ओर देखा। विक्रमादित्य ने कहा कि रावण की नाभि में अमृत होना चाहिए था। रामजी ने सिर्फ 31 बाणों को एक साथ संधान किया और फिर इन्हें छोड़ा। बीस बाणों से हाथ , दस से सिर और एक से नाभि काट लिया गया। रावण गिर पड़ा। शिव भी प्रसन्न हुए। जब सभी ने देखा कि रावण की आत्मा प्रभु राम में समा गई , तो वे हैरान हो गए। कुंभकर्ण की मृत्यु भी ऐसी थी। सब लोग इसका रहस्य जानना चाहते थे। इस रहस्य को समझने से श्रीराम कृपा की करुणा और सरलता का अनुभव होगा। रावण की आत्मा का तेजस रामजी में समा गया , जो उनकी मुक्ति या मोक्ष का संकेत था। जन्म मरण से मुक्त हुए। इसका मतलब यह है कि वे अन्यायपूर्ण व्यवहार का एक और अध्याय नहीं शुरू कर पाएंगे। धर्म की स्थापना और अन्याय के खात्मे के लिये जन्म लेने की प्रभु ने जो घोषणा की थी , उसे रामजी ने ऋषियों के सामने भुजा उठाक