दिवाली भी बुराइयों को मिटाने का दूसरा नाम है | कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya )
जब हम प्रकाश पर्व दिवाली पर उत्साह, खुशी और उत्साह के उजियारे में नहाते हैं, तो हम पूरे उत्साह से भर जाते हैं।इस उत्सव पर हमारा देश ही नहीं, पूरी दुनिया भी उज्ज्वल है। अमेरिका, सिंगापुर और फिर संयुक्त राष्ट्र में दिवाली मनाई गई। विश्व की इस सबसे बड़ी संस्था ने पहली बार कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने अपने मुख्यालय पर दीये और थ्रीडी लाइटिंग के साथ हैप्पी दिवाली का संदेश दिखाकर इस उत्सव को मनाया। विश्व की सबसे बड़ी संस्था द्वारा व्यक्त यह भाव निश्चित रूप से हमारे देश के प्रति विश्व के बदलते दृष्टिकोण और उसकी हमारे प्रति बढ़ती दिलचस्पी का संकेत है। दूसरी तरफ, दिवाली पर हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने जो व्यवहारिक भाव व्यक्त किए हैं, उन पर भी विचार करने और उन पर अमल करने से देश में वांछित बदलाव हो सकता है।
प्रेम और त्याग: दिवाली का मूल भाव
दिवाली भी बुराई का दूसरा नाम है। दिवाली पर हम एकजुट होते हैं। इससे दिल खुलता है, सरलता आती है, प्रेम बढ़ाता है और प्रेम में ही ईश्वर है। प्रेम में त्याग अनिवार्य है, और बुराई नहीं होगी जहां ये दोनों हैं। अब जरा अधिक गहराई में जाकर कुछ और खोजें। यदि प्रेम बनाना है या अपने मन को शांत करना है, तो सबसे पहले खुद से शुरू करना होगा। यानी, अपने भीतर प्रकाश डालना चाहिए। तात्पर्य आत्मज्ञान है।
राजस्थान की परंपरा: बच्चों की दिवाली
दिवाली लोगों को खुश करने का अवसर है। यहां मुझे गढ़ी जैसे दक्षिणी राजस्थान के कुछ कस्बों की एक परंपरा याद आती है। वहां दिवाली की रात चार या पांच बजे बच्चे-युवाओं उठते हैं और बड़े दीपकनुमा मिट्टी के बर्तन को अपने हाथ में लेते हैं, जिसके नीचे एक छोटा सीधा हैंडल पकड़ने के लिए है। तेल-बाती उसमें होते हैं। जब एक बच्चा अपना दीया जलाता है, तो दूसरा भी जलाता है, फिर सभी मिलकर अपने-अपने दीये जलाते हैं। इन्हें अपने दोस्तों, परिचितों और अपरिचितों के पास ले जाते हैं और कुछ गीत गाते हैं। वहाँ घर के बड़े लोग दीयों में तेल भरते हैं। जिससे दीये सदा जलते रहते हैं। बच्चों को सिक्के भी मिलते हैं। इस परंपरा का परिणाम उत्सव का मूल उद्देश्य बता देगा। पहले अपना दीया जलाओ, अपने ज्ञान का प्रकाश करो, फिर दूसरों को प्रकाशित करने में सहयोग करो। बड़े लोगों का ज्ञान और सहभाव चैतन्य रखने में मदद करते हैं। यही कारण है कि इस प्रक्रिया में संबंधित परिवारों में आपसी संबंध बढ़ते हैं।
स्वच्छता का अभियान: दिवाली और स्वच्छता
दिवाली स्वच्छता के लिए एक अभियान है। दिवाली पर लोग अपने घरों, गलियों और शहर को पूरी तरह से साफ करते हैं। यह अभियान और शुद्धता का भाव हर वर्ष जारी रहना आवश्यक है। “स्वामी विवेकानंद ने कहा कि कोई देश महान नहीं होता कि उसकी संसद ने यह या वह बिल पास किया है।” महान नागरिकों और उच्च राष्ट्रीय भावना के कारण वह महान है।हम भी दिवाली और हमारे प्रधानमंत्री जी की भावना से प्रेरित होकर देश को महान बनाए रखने के लिए बुराई को दूर करने का संकल्प, सौहार्द्रपूर्ण सौमनस्य और स्वच्छता अभियान को हमारे राष्ट्रीय चरित्र के केंद्र में लाना चाहिए।
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